Wednesday 18 October 2017

दोस्ती दिल में बसी है


दोपहर का समय था, यही कोई दो-तीन बजे के आसपास का. मोबाइल की घंटी के साथ अनजाना नंबर डिस्प्ले पर दिखाई दिया. कॉल रिसीव करते ही उधर से नितांत अनौपचारिक लहजे में, सामान्य से हावभाव के साथ सवाल दागा गया, कुमारेन्द्र बोल रहे हो? हाँ कहने के बाद भी आवाज़ में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ. क्या कर रहे हो? शादी हो गई? कितने बच्चे हैं? घर में और कौन-कौन है? साइंस छोड़कर आर्ट्स में क्यों आ गए? साइंस वाली कोई मिली नहीं क्या? पुरानी वाली कहाँ है? जैसे लगभग दस-पंद्रह सवालों को ऐसे पूछा गया जैसे हमसे कोई पूछताछ की जा रही हो.

हम भी बहुत सहजता से हर सवाल का नापा-तुला जवाब दिए जा रहे थे. किसी तरह की कोई झुंझलाहट नहीं, किसी तरह का कोई प्रतिरोध नहीं. दो-तीन सवालों के बाद पता नहीं क्यों दिल से एक परिचित सा एहसास होने लगा था. दिल में इक लहर सी उठी है अभी जैसी स्थिति साफ़-साफ़ समझ आ रही थी. इतने सवालों के बाद भी हमारी तरफ से कोई अपेक्षित सी प्रतिक्रिया ने देख अगले ने इस बार जरा कड़क स्वर लाते हुए पूछा क्यों, इतनी देर से सवाल पूछते जा रहे हैं, तुमने पूछा भी नहीं कि कौन बोल रहे हो?

अबे, आलोकनाथ बोल रहे हो हमने अपने उसी एक-डेढ़ दशक पुराने अंदाज में जवाब दिया. बस इतना कहना था कि सामने वाले की सारी कड़क गायब हो गई. साफ़ समझ आया कि उसका गला रुंध गया है. आवाज़ में कम्पन बढ़ गया.

अबे यार, इतने साल बाद भी कैसे पहचान लिया तुमने?

ओये आलोक, तुम्हारी आवाज़ सिर्फ कान तक नहीं रही, दिल में बसी है. इसलिए एक-दो सवालों के साथ ही तुमको पहचान लिया था.

इसके बाद उसकी आवाज़ में खनक आ गई. हमारे हॉस्टल के एक अन्य साथी राजेश भाटिया से उसको हमारा नंबर मिला था. संभवतः आलोक की मंशा हमको आश्चर्य में डालने की रही होगी या फिर कुछ डराने जैसी कि कौन है जो जानकारी ले रहा है, पूछताछ कर रहा है.

बहरहाल, 1993 में कॉलेज छोड़ने के अगले साल ही आलोक से मिलना हुआ था, उसके बाद न मिलना न कोई बातचीत, इसके बाद भी 2010 में उसको महज आवाज़ से पहचान लेने पर किसी को भी आश्चर्यचकित होना ही पड़ेगा. दिल से दिल के जुड़े तार बरसों बाद भी खनकते हैं, संबंधों में आत्मीयता हो तो सालों बाद भी उसकी महक समाप्त नहीं होती है, रिश्तों में अपनापन हो तो बिना देखे भी एक-दूसरे की उपस्थिति महसूस होती है. इसे हमने कई बार महसूस किया है, उस दिन ये बात और पुख्ता रूप में सिद्ध हो गई.