किसी भी व्यक्ति
के जीवन में जन्मने के बाद महत्त्वपूर्ण दिन होता है उसका पहले दिन स्कूल जाना. लगभग
सभी के लिए पहला स्कूली दिन बहुत ही ख़ास होता है. एक जैसी होते हुए भी सबकी अलग-अलग
सी कहानी रहती है. वैसे देखा जाये तो स्कूल भी अपने आपमें एक अजब सा स्थान होता है, बच्चों के लिए. किसी के लिए दहशत भरा,
किसी के लिए कौतुहल भरा, किसी के लिए खेल का स्थान,
किसी के लिए बोझिल सा. हमारे लिए स्कूल कभी भी दहशत भरा नहीं रहा. प्राथमिक
स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक शैक्षिक संस्थान को बहुत सहजता से आत्मसात करते रहे. बहरहाल,
हम भी स्कूल गए, गए क्या, भेजे गए. समय से ही स्कूल भेजे गए.
हमारा पहला स्कूली
दिन बहुत ही रोचक स्थिति में गुजरा. स्कूल का नाम सही-सही तो याद नहीं पर शायद राधा
कृष्ण जूनियर हाई स्कूल या फिर कुछ इसी तरह का नाम था. स्कूल घर से काफी दूर था. स्कूल
में प्रवेश कैसे हुआ, किसने करवाया, कब हुआ याद नहीं. हाँ, इतना याद है कि पहले दिन स्कूल जाना हुआ एक आया माँ के साथ. स्कूल पहुँचने
के कुछ समय बाद हमें स्कूल में अच्छा नहीं लगा. बंद-बंद सा माहौल, छोटे-छोटे से कमरे. आज के भव्य स्कूलों, सजावटी इमारतों
से इतर साधारण सा, किसी पुराने मकान में चलता स्कूल. जब तक वे
आया माँ दिखती रहीं, तब तक तो हम स्कूल में जमे रहने की कोशिश
करते रहे. उनके कुछ देर बाद न दिखने की स्थिति में हमने घर जाने की जिद मचाई तो बताया
गया कि आया माँ किसी काम से स्कूल से चली गईं हैं, उनके आते ही
घर भिजवा दिया जायेगा. ये पता लगते ही कि आया माँ स्कूल में नहीं हैं, घर जाने की
जिद और तेज हो गई.
जिद से भी ज्यादा
जिद्दी होने का स्वभाव बचपन से ही रहा है, आज भी है. शायद उसी जिद के साथ-साथ रोना, चिल्लाना बहुत ज्यादा ही रहा होगा तभी स्कूल प्रबंधन ने एक शिक्षक के साथ हमें
घर वापसी की राह दिखाई. घर का पता किसी को मालूम नहीं था. आया माँ स्कूल में नहीं.
हमने पूरे विश्वास के साथ कहा कि हमें घर का रास्ता पता है. बस फिर क्या था,
अपने विश्वास के भरोसे एक शिक्षक हमारे साथ घर को चल दिए. हम अपने पहले
ही दिन अपनी याददाश्त, अपने विश्वास के सहारे वापस घर तक लौट
आये. उस स्कूल में हमारा पहला दिन, उस स्कूल का आखिरी दिन भी
साबित हुआ.
आज भी अम्मा जी
उस दिन को याद कर बताती हैं कि वे शिक्षक और हमारे घर वाले हैरान थे कि उस अत्यंत छोटी
सी उम्र में हमें स्कूल से घर तक का रास्ता कैसे याद रहा? हैरानी आपको भी हो रही होगी मगर सच ये है कि
आज भी ये प्राकृतिक शक्ति हममें विद्यमान है कि किसी रास्ते से एक बार गुजर जाएँ,
किसी भी व्यक्ति से एक बार मिल लें फिर वह हमारे दिमाग में हमेशा को
बस जाता है.